Opportunity (अवसर)

Opportunity (अवसर)

कभी-कभी मन में एक कश्मकश उत्पन्न होती है।

ये अवसर है क्या?

अवसर हमें चुनते हैं या हम अवसर को?

अवसर हमें बनाते हैं या हम अवसर को?

उपर्युक्त शब्दों में एक बहुत ही गहरा मर्म छुपा हुआ है। पहले तो यही सुना था कि इंसान अवसर को बनाता है, परंतु कुछ ऐसी घटनाएं मेरे समक्ष आईं हैं, जिनको देखकर लगता है कि अवसर इंसान को बना रहा है!

कैसे?!?

हममें से कितने लोग हैं, जो इस बात का रोना रोते हैं, कि हमें तो अवसर ही नहीं मिला। यदि मिलता तो हम बहुत कुछ कर दिखाते।

हंसी आती है ऐसी मानसिकता पर, क्यूं हम स्वयं को किसी अवसर का मोहताज बनाते हैं ?

क्यूं और कैसे हम किसी अवसर के शिकार हो जाते हैं?

स्वयं के भीतर झांक के देखिए, स्वयं को समझ कर देखिए, आप पाएंगे, कि एक…….. कोई एक ऐसा हुनर तो ख़ुदा ने आपको उपहार के रूप में दिया होगा !

बस……. उसे खोजिए… और अपने अवसर स्वयं बनाइए। अपना अस्तित्व स्वयं बनाइए।

जब आप इस कार्य में सफल हो जाएंगे तो पाएंगे, कि व्यर्थ में ही मनुष्य अवसरवादी होकर, अवसर का शिकार होकर स्वयं के अस्तित्व को मिटा देता है।

वहीं दूसरी ओर एक अन्य मनुष्य अवसर पैदा करके स्वयं के अस्तित्व को पा लेता है, स्वयं का निर्माण कर लेता है, स्वयं को बचा लेता है!

ज़रूरत है तो सिर्फ स्वयं से जुड़ने की, स्वयं से मित्रता करने की, स्वयं से प्रेम करने की।

तो आइए, बिना देर किए, जल्दी से इस दिशा में क़दम बड़ाएं।

आप स्वयं विचार करें ! …….

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