अहंकार (Ego v/s self love)

अहंकार (Ego v/s self love)

मैने आपको मेरी पिछली पोस्ट में अहंकार के बारे में कुछ बताया था। इस पोस्ट में हम ego and self love के बीच में क्या अंतर होता है उसे समझने कि कोशिश करेंगे।

Ego…… अहंकार!

Self love…… स्वयं से प्रेम!

ये दोनों ही बेहद रोचक तथ्य हैं। परन्तु, यदि इन दोनों के मध्य हम अंतर ना समझ पाएं तो आजीवन भटकते ही रह जाएंगे।

रोचक बात यह है कि दोनों के मध्य का अंतर बहुत ही आसान है। एवम् हम आगे इसी विषय में चर्चा करने जा रहे हैं!……

देखिए self love का मतलब यह होता है कि आप स्वयं का अच्छा सोचें, स्वयं का कल्याण करने का सोचे एवम् प्रयास करें, स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझें, स्वयं को किसी से कम ना समझें, चाहे आप जैसे भी हैं… स्वयं को पूर्णतया स्वीकार करें।

स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझना गलत नहीं है, अहंकार नहीं है।

तो फिर प्रश्न यह उठता है कि अहंकार क्या है?

फिर से दोहराती हूं। गौर से समझिएगा…… स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझना अहंकार नहीं है…

अहंकार है…… दूसरों को अपने से कम या निम्न समझना, दूसरों को नीचा दिखाना, दूसरों का अपमान करना……

इसे कहते हैं अहंकार……. स्वयं से प्रेम करना मत छोड़िए, छोड़ना है तो दूसरों का अपमान करना, उन्हें स्वयं से कम स्तर का समझना या आंकना, उन्हें नीचा दिखाना छोड़िए। कोई किसी से कम नहीं है, ना आप ना ही कोई और। क्योंकि सभी को ईश्वर ने असीम अनुकम्पा से अनुगृहित किया है।।

इतना कर दिया तो कभी कोई जंग ऐसी नहीं होगी जिसे आप हार जाएं। कामयाबी आपके कदमों में होगी और आप सफलता के शीर्ष पर और आपके लिए हारना होगा नामुमकिन।

आशा करती हूं आप सभी का जीवन मंगलमय हो। इसी के साथ आप सभी को दीपावली की ढेरों हार्दिक शुभकामनाएं।

~आईये एक दीया हम अपने व्यवहार को रोशन करने हेतु प्रज्जवलित करें एवम् स्वयं को एवम् अपने जीवन को रोशन बनाएं……..

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