विवाह की उचित आयु

विवाह की उचित आयु

हर कोई इसी बात पर चर्चा में लगा हुआ है कि विवाह की उचित आयु हम क्या?

कैसे? एवं

कब? निर्धारित कर सकते हैं! इस विषय में जब चिंतन किया तो मुझे महसूस हुआ जो कि अक्सर लोगों से सुनने में आता है, कि विवाह की कोई निश्चित आयु नहीं होती। तब प्रश्न यह उठता है कि फिर हमारा परिवार एवं समाज हमें जल्द से जल्द विवाह करने हेतु क्यों प्रेरित करते हैं? विशेषत: स्त्रियों को! इस विषय में लोग अपने- अपने तरीकों से विभिन्न मत रखते हैं।

कोई कहता है, ससुराल में “एडजस्ट” नहीं हो पाओगी। कोई कहता है जितनी जल्दी पारिवारिक ज़िम्मेदारियां उठा लो बढ़िया है। कोई कहता है लड़की हो शादी तो करनी ही है, फिर बच्चे भी समय से हो जाएंगे। तो कोई कहता है देर से विवाह करोगी तो सभी तरह से तुम्हें दिक्कत होगी। तो कोई कहता है स्त्री बिना विवाह के असुरक्षित है। वगैरह, वगैरह!

इस विषय में मैं जितना विचार करती हूं और अपने आस – पास के माहौल को देखती हूं, तो बहुत हंसी आती है। क्या सोच है हम लोगों की? विज्ञान ने तरक्की इसीलिए की है कि जीवन को आसान बनाएं और हमारे आस – पास के लोग हमारे लिए उस वैज्ञानिक ज्ञान या आंकड़ों को स्वयं के स्वार्थ को सिद्ध करने हेतु इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं।

मैं एक – एक कर इन सभी कारणों का उल्लेख करूंगी। पहला ससुराल में “एडजस्ट” होना ना होना आयु का नहीं अपितु घर के सदस्यों एवं लड़की के व्यवहार, आचरण, सोच एवं तालमेल पर निर्भर करता है। कई स्त्रियां ऐसी भी हैं, जिनका विवाह जल्दी होने के बावजूद उनका तलाक हो गया, तो कहां गई “एडजस्टमेंट” वाली बात?!?

दूसरा कारण जल्दी ही ज़िम्मेदरियां उठाने वाली बात। तो, निभाना ना निभाना आयु पर नहीं अपितु मनुष्य की इच्छा, सोच एवं रुचि पर निर्भर करता है।

तीसरा कई स्त्रियां ऐसी भी हैं, जिनका विवाह उचित समय होने के बावजूद, उनके कोई बच्चा नहीं है। इसके पीछे कारण कुछ भी हो सकता है। दम्पत्ति की आपसी समझ या कोई स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या।

चौथा कारण यह की ऐसी कई स्त्रियां हैं, जिनका विवाह उचित समय पर होने एवं समय से गर्भवती होने के पश्चात् भी उन्हें कई प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह सब भी किसी स्त्री के स्वास्थ्य, हार्मोन्स एवं न्यूट्रीशन पर निर्भर करता है।

पांचवां बेहद ही हास्यास्पद कारण, कि स्त्री विवाह करके सुरक्षित है। कितनी ही महिलाएं ऐसी होंगी जो विवाह के उपरांत भी असुरक्षित महसूस करती हैं। या तो वे तलाक लेकर अलग हो जाती हैं या फिर किसी न किसी प्रकार से अपनी असुरक्षा की भावना को जीती रहतीं हैं, उसका जैसे- तैसे सामना करतीं हैं, परन्तु, चुप रहती हैं। तो कहा है विवाह उपरांत सुरक्षित होने वाली बात?

अतः आवश्यक यह नहीं कि विवाह समय से किया जाए या देर से। आवश्यक यह है कि विवाह किससे किया जाए? विवाह उसी से कीजिए जिसके साथ रहकर आपको अकेलेपन का अहसास ना हो। जो आपके साथ रहकर भी आपको अकेला महसूस करवाए उससे विवाह करने का क्या लाभ?!?

विवाह उससे कीजिए जिसके साथ आप सुरक्षित महसूस करें। क्योंकि कभी भी यह रिश्ता किसी के लिए भी बोझ नहीं होना चाहिए। क्योंकि रिश्ते झेलने के लिए नहीं अपितु आंनद महसूस करने के लिए बनाए जाते हैं।

अतः आप अपने बच्चों से, अपनों से, दोस्तों से किसी भी प्रकार की ज़ोर- ज़बरदस्ती मत कीजिए। अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप उनकी मुश्किलों को सुलझाने के स्थान पर और बढ़ा देंगे। और फिर पछतावा आपको ही होगा।

अतः मेरा मत यही है कि विवाह चाहे जब भी करें अपनी खुशी से करें किसी के कहने या किसी दबाव में आकर नहीं!

~विचार स्पष्ट हैं, सोचिएगा ज़रूर !

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