स्वार्थ— लालच(selfishness)

स्वार्थ— लालच(selfishness)

यदि हम स्वार्थ के बारे में बात करते हैं तो हमें इन प्रश्नों के उत्तर खोजने होते हैं,~

स्वार्थ किसे कहते हैं?

स्वार्थी कौन होता है?

स्वार्थी होना सही या गलत?

यदि आपने गौर किया हो तो पाया होगा कि स्वार्थ का सामना सदैव “सैल्फ- लव” से होता रहा है। अधिकतर लोग इन दोनों के मध्य अंतर करने में अक्षम होते हैं। तो आज हम इसी पर विचार करेंगे।

स्वयं के बारे में सोचना,

स्वयं का भला करना,

स्वयं को आगे बढ़ाना,

स्वयं को ऊंचा उठाना,

स्वार्थ —————– नहीं है!!

स्वार्थ है,

किसी का गलत प्रयोग करके अपना काम बनाना।

स्वार्थ है,

किसी को बताए बिना उसे या उसकी चीज़ों को प्रयोग में लाना।

स्वार्थ है,

किसी का इस्तेमाल करना।

स्वार्थ है,

किसी को जानबूझकर नुकसान पहुंचाकर स्वयं का फ़ायदा करना।

यही कारण है कि अच्छे लोग कभी स्वयं का भला नहीं कर पाते, इसी कारण वे थोड़े दुखी रहते हैं। क्योंकि वे सोचते हैं कि यदि वे स्वयं का भला करेंगे तो वे स्वार्थी कहलाएंगे। वे इन दोनों के मध्य के अंतर को समझ नहीं पाते एवं आजीवन उलझते ही चले जाते हैं। अब जब आपको इन दोनों के मध्य अंतर समझ आ गया है।
इसीलिए,

आप स्वतंत्र हैं,

स्वयं का कल्याण करने हेतु,

स्वयं का फ़ायदा करने हेतु,

स्वयं का भला सोचने एवं करने हेतु,

स्वयं को आगे बढ़ाने हेतु,

स्वयं को ऊंचा उठाने हेतु।

परन्तु,

किसी का जानबूझकर नुकसान किए बिना।

~आइए हमसब मिलकर कदम बढ़ाएं स्वयं के कल्याण की ओर ।

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