Corona warriors/कोरोना योद्धा/ self love

Corona warriors/कोरोना योद्धा/ self love

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज हम, हम तो क्या पूरा विश्व जिस स्तिथि से गुज़र रहा है, उसको मद्दे नज़र रखते हुए, जो कदम हमें उठाने पड़ रहे हैं। उन्हें यदि हम गौर से देखें तो हमें समझ आएगा कि इसके पीछे क्या संदेश छुपा है!

संदेश है “सेल्फ लव” का । इस दौरान हमें जो सबसे ज्यादा ध्यान में रखने योग्य बातें कही जा रही हैं वो यही हैं कि हमें स्वयं से प्रेम करना सीखना है। स्वयं के साथ समय बिताना सीखना है, स्वयं को सुनना, महसूस करना, देखना, देखभाल करना सीखना है।

इस समय जो समस्या हमारे समक्ष उपस्थित है, उसका समाधान ही यही है “सेल्फ लव”, “सेल्फ केयर” ! आजकल एक शब्द सुनने में आ रहा है वह है “सोशल डिस्टेंसिंग”। वैसे हमें स्वयं को समझने जानने हेतु यही करना चाहिए जब भी हम स्वयं को कहीं किसी राह में अटकता हुआ महसूस करते हैं हमें यही करना चाहिए – स्वयं को सबसे अलग करना ।

कहा जाता है कि एकांत सबसे अच्छी पाठशाला होती है। जब भी जीवन में हमें महसूस हो कि हम जीवन की भाग दौड़ में। स्वयं को पीछे छोड़ रहे हैं हमें यही करना चाहिए – “सोशल डिस्टेंसिंग”!

एक उदाहरण से हम इसे इस प्रकार समझ सकते हैं कि यदि हम ख़ुद को संक्रमण से बचाएंगे तभी दूसरों को भी बचा सकते हैं। यदि स्वयं का जीवन बचाएंगे तभी दूसरों का बचा सकते हैं।

ठीक इसी प्रकार ये नीति हमारे जीवन में भी लागू होता है। यदि हम स्वयं के साथ समय व्यतीत करते हैं स्वयं को समझते है, स्वयं को समय देते हैं, स्वयं में सुधार करते हैं तो हम इस प्रकार करके स्वयं के साथ साथ दूसरों के लिए भी एक बेहतरीन उदाहरण बन सकते हैं।

यही जीवन का सत्य भी है जिसे हम भूल गए थे। वो सत्य जिसे हम भूल जाते है या फिर किसी ना किसी बहाने से नजरअंदाज करते हैं। परन्तु वह किसी ना किसी रूप में हमारे समक्ष आ ही जाता है।

बुजुर्गों से अक्सर ये सुनने में आता है कि संकट की घड़ी हमें बहुत कुछ सिखाती है यदि हम उससे सीखना चाहे तो!

हम विपरीत परिस्थितियों से बहुत कुछ सीख सकते हैं, ये घड़ी भी हमें सीखा रही है। ज़रूरत है थोड़ा रुकने की, थमने की, स्वयं को रीचार्ज करने की, आगामी सवेरे को रोशन करने हेतु स्वयं को तैयार करने की, स्वयं को टटोलने की और हमारे लक्ष्य को पहचान कर कर्म करने की।

ये घड़ी हमें याद दिला रही है कि हम डॉक्टर इंजीनियर, शिक्षक, और भी ना जाने क्या-क्या जो भी हम बनना चाहते थे बन गए, परन्तु पीछे छूट गया हमारा वो बचपन जब हमने स्वयं से कुछ वायदे लिए थे।

आगे बढ़ने की होड़ में पीछे छूट गई वो मानवता, जो हमें इस पल इन लम्हों में फिर से अपनी और खींच रही है। वो चुनौतियां जो हमें फिर से स्वयं से जुड़ने की और इशारा कर रही हैं। ताकि हम स्वयं को पहचान सकें हम मानव धर्म को पहचान सकें। यह घड़ी हमें सिखा रही है कि स्वयं के कल्याण में ही सबका कल्याण है।

~आइए तो एक कदम बढ़ाएं मानवता की ओर।
~जय हिन्द, जय भारत। 🪔

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