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दर्द(Pain)

दर्द(Pain)

दर्द वह अनुभूति है, जिसे कोई भी प्राणी पसंद नहीं करता। या, यूं कहा जाए कि दर्द हमारे भीतर छिपी हुई वह अदृश्य शक्ति है, जिसे हम स्वीकारना ही नहीं चाहते। जब भी कोई मनुष्य किसी भी प्रकार के दर्द को महसूस करता है यही सोचता है, कि काश ! मुझे यह दर्द ना मिलता। हम में से कोई भी दर्द को गले नहीं लगाना चाहता। परन्तु, सत्य यही है कि दर्द में ही हमारी वास्तविक प्रगति छुपी होती है।…

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भय… डर(Fear)

भय… डर(Fear)

भय एक ऐसी भावना है, जो हमें स्वयं के अस्तित्व से जुड़ने से रोकती है। यदि हम जीवन में कुछ करना चाहें, आगे बढ़ना चाहें, स्वयं को एवम् अपने जीवन को बदलना चाहें, तो यही भय हमारे मार्ग को अवरूद्ध कर देता है। भय एक ऐसी ज़ंजीर है, जो हमें इस प्रकार कस लेती है कि हम चाह कर भी उससे मुक्त नहीं हो पाते। परन्तु यह भी सत्य है कि “डर के आगे जीत है।” जिसने इसका सामना किया…

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विवाह की उचित आयु

विवाह की उचित आयु

हर कोई इसी बात पर चर्चा में लगा हुआ है कि विवाह की उचित आयु हम क्या? कैसे? एवं कब? निर्धारित कर सकते हैं! इस विषय में जब चिंतन किया तो मुझे महसूस हुआ जो कि अक्सर लोगों से सुनने में आता है, कि विवाह की कोई निश्चित आयु नहीं होती। तब प्रश्न यह उठता है कि फिर हमारा परिवार एवं समाज हमें जल्द से जल्द विवाह करने हेतु क्यों प्रेरित करते हैं? विशेषत: स्त्रियों को! इस विषय में लोग…

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नारी की आधुनिक दशा

नारी की आधुनिक दशा

“नारी”, “स्त्री”, “lady”, “woman” या फिर “औरत”। आज के युग में “नारी” की “दिशा” और “दशा” को लेकर लोगों में कई प्रकार की चर्चाऐं होती रहती हैं। मैंने कभी भी इस विषय को इतनी गहनता से नहीं लिया। हालांकि हमारे समाज में हमारी पुरातन नारियों ने सोच बदलने हेतु एवं अपना उचित स्थान एवं सम्मान पाने हेतु बहुत प्रयास किए हैं, जो की काफी हद तक सफल भी हुए हैं। लेकिन आज भी यदा – कदा समाज की छोटी सोच…

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स्वार्थ— लालच(selfishness)

स्वार्थ— लालच(selfishness)

यदि हम स्वार्थ के बारे में बात करते हैं तो हमें इन प्रश्नों के उत्तर खोजने होते हैं,~ स्वार्थ किसे कहते हैं? स्वार्थी कौन होता है? स्वार्थी होना सही या गलत? यदि आपने गौर किया हो तो पाया होगा कि स्वार्थ का सामना सदैव “सैल्फ- लव” से होता रहा है। अधिकतर लोग इन दोनों के मध्य अंतर करने में अक्षम होते हैं। तो आज हम इसी पर विचार करेंगे। स्वयं के बारे में सोचना, स्वयं का भला करना, स्वयं को…

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इरादे,नीयत(Intensions)

इरादे,नीयत(Intensions)

If we have pure and clear intension we will definitely get the particular object or job or whatever we want. Intensions are of different types, which works or we can say which are activated inside all of us in different ways and perspectives. People may have an intension to get a job, some have to get a home, food, success, opportunity, attention, importance, to defeat someone and even some have intension to get a particular person in their life….. Like…

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अहंकार (Ego v/s self love)

अहंकार (Ego v/s self love)

मैने आपको मेरी पिछली पोस्ट में अहंकार के बारे में कुछ बताया था। इस पोस्ट में हम ego and self love के बीच में क्या अंतर होता है उसे समझने कि कोशिश करेंगे। Ego…… अहंकार! Self love…… स्वयं से प्रेम! ये दोनों ही बेहद रोचक तथ्य हैं। परन्तु, यदि इन दोनों के मध्य हम अंतर ना समझ पाएं तो आजीवन भटकते ही रह जाएंगे। रोचक बात यह है कि दोनों के मध्य का अंतर बहुत ही आसान है। एवम् हम…

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अहंकार(Ego)

अहंकार(Ego)

से आप क्या मतलब समझते हैं? यह आपको सही मार्ग से भटकाता है, यह आपको सबसे अलग कर देता है, यह आपकी छवि को धूमिल करता है, यह आपको सबकी नज़रों में बुरा बनाता है, यह आपकी बुद्धि को एवम् आपको नष्ट कर देता है…… वगैरह-वगैरह…… यह सब बातें तो सभी जानते एवम् समझते हैं। परन्तु क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है… कि अहंकार होता क्या है?!? आप किस मानसिक स्तिथि को अहंकार कहेंगे? आप कैसे इसे…

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आवाज़

आवाज़

वो आज बहुत रोयी, इतना रोई कि सभी की निगाहें उसपर से हट ही नहीं पा रहीं थीं। उसको कुछ ना तो दिखाई दिया आज, और ना ही कुछ सुनाई दिया। जो भी उसका दर्द था, आज उसकी आंखों से सब बयां हो रहा था। कई दिनों से उसका मन उदास था, ना जाने क्या उसको अंदर ही अंदर खाए जा रहा था, वो समझने में अक्षम थी। क्या था वो जिसने उसे इतने दिनों से परेशान किया हुआ था?…

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शिक्षक दिवस पर विशेष

शिक्षक दिवस पर विशेष

शिक्षक बनने का अनुभव भी कमाल का होता है।शिष्यों के जीवन में दो ही व्यक्तियों का स्थान अधिक महत्वपूर्ण होता है….. अभिभावक एवं शिक्षक। शिष्य सबसे ज्यादा इन्हीं दो के जीवन से प्रभावित होते हैं एवं इन्हीं दो का अनुसरण भी करते हैं… शिष्य अपने हर शिक्षक की कोई ना कोई बात, कोई “speciality”, “uniqueness” हमेशा याद रखते हैं। इसी कारण मुझे हमेशा यही लगता था कि यदि मैं शिक्षक बनूं, तो अपने शिष्यों के समक्ष एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत…

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