ग्रहणी
कहानी:- गृहिणी:- ~कोशिश करके देखिए। स्वरचित एवम मौलिक रचना~स्वाति शर्मा (भूमिका)
कहानी:- गृहिणी:- ~कोशिश करके देखिए। स्वरचित एवम मौलिक रचना~स्वाति शर्मा (भूमिका)
वृद्धावस्था:- वृद्धावस्था की चौखट पर आकर,जब भी कोई यह पूछता है।क्या आपने पाया क्या खोया,तब उसका मन यह सोचता ही।सबसे पहले ख्याल आता है,कौन था अपना ? कौन पराया।किसने हमको कितना हंसाया,और किसने कितना रुलाया !जब अपने और परायों का हिसाब जुड़ता है,तब यह दिल धड़क-कर सब सुनता है।अंत में काम अनुभव ही आया,हमने बदले में केवल यही कमाया।यदि कर्म अच्छे हों तो मन चैन की सांस लेता है,यदि कर्म बुरे हों तो मन सदा ही बेचैन रहता है।वृद्धावस्था की…
“अरे ! तू अभी तक सो रहा है। चल उठ जल्दी से तैयार हो जा। आज तेरा इंटरव्यू है ना! मैंने तेरी पसंद का नाश्ता बनाया है। जल्दी से नहा- धोकर आ जा।” मां ने बड़े स्नेह से अपने सुपुत्र कि जगाया। उसने चादर के अन्दर से ही जवाब दिया। बस मां मैं नहीं जा रहा किसी इंटरव्यू के लिए। कुछ होता तो है नहीं, बस समय कि बर्बादी होती है। मां बोली- “उठ जा बेटा तेरे पापा ने बड़ी…
एक बेहद ही हास्यास्पद वाक्या मेरे समक्ष आया। जब मैंने दो मित्रों को आपस में झगड़ते हुए देखा एवं सुना। दोनों ही काफ़ी जागरूक, समझदार, सभ्य एवं शिक्षित लग रहे थे। जब दो समझदार, समकक्ष व्यक्ति वार्तालाप करें तो देखने एवं सुनने का आनंद ही कुछ और होता है। दोनों के मध्य एक बात को लेकर जमकर बहस हो रही थी। चूंकि दोनों ही सभ्य थे, तो ज़ाहिर सी बात है कि दोनों ही शब्दों को मक्खन की भांति लपेट-…
सुना है कि मित्रता बराबर वालों से ही की जानी चाहिए। परन्तु, इतिहास इस बात का गवाह है कि मित्रता में कोई ऊंच- नीच कोई छोटा- बड़ा नहीं होता। परन्तु, इन शब्दों के मध्य हम अंतर ही नहीं कर पाते। क्योंकि हमारे पास समय ही कहां है कि हम हर बात को हर चीज़ के पीछे की गहराई को भली प्रकार से माप सकें। अतः हम सभी से मित्रता करना आरम्भ कर देते हैं। हमारे जीवन साथी, mata- पिता, भाई-…
As Mother is creator. You are creator of your life. So, you can create your Universe. And Universe always act on your order and permission. Equation of UNIVERSE:- Creator = Mother, You = Creator,So, You = Creator = Mother. Hence, “YOU ARE THE CREATOR OF UNIVERSE.”
“राम” का नाम आते ही “मर्यादा – पुरुषोत्तम” शब्द का ज़िक्र ज़रूर आता है। प्रभू श्रीराम ने एक पत्नी व्रत लिया हुआ था। इसीलिए उन्होंने मां सीता के अलावा कभी किसी अन्य स्त्री का वरण नहीं किया। वरण तो दूर, किसी पर स्त्री का ख्याल भी नहीं किया। कभी – कभी मेरे। मन में यह प्रश्न उठता है कि क्या पुरुष का मर्यादा पुरुषोत्तम होना काफ़ी है? क्या सिर्फ यही एक सुखी दाम्पत्य जीवन का आधार हो सकता है? प्रभु…
क्या इस संसार में कोई भी आपका मित्र बन सकता है? क्या आपकी पत्नी आपकी मित्र हो सकती है? क्या आपकी संतान आपकी मित्र हो सकती है? क्या आपके माता पिता आपके मित्र बन सकते हैं? क्या आपके भाई बहन आपके मित्र हो सकते हैं? क्या आपके गुरु आपके मित्र बन सकते हैं? सबसे महत्वपूर्ण बात… क्या आप स्वयं आपके मित्र बन सकते हैं? यदि इन सभी रिश्तों का एक – एक कर हम विश्लेषण करें तो हमें सब समझ…
जब भी किसी को हम श्रीकृष्ण के चरित्र चित्रण का वर्णन करने को कहते हैं। लोग अपने हिसाब से, या कहा जाए अपनी सोच के हिसाब से उनकी यूं व्याख्या करते हैं। कोई उन्हें छलिया कहता है, तो कोई उन्हें मायापती के नाम से संबोधित करता है, तो कोई उन्हें रास-रसैया भी कहता है। सभी वर्णन एक तरफ, सबसे ज्यादा हास्यास्पद स्तिथि तब प्रस्तुत होती है, जब लोग उन्हें रास- रसैया कहते हुए बहुत ही कुटिल हंसी हंसते हैं। जब…
“अरे लोकेश बेटा! जल्दी आओ ।” लोकेश अपनी मां की पुकार सुनकर भागते हुए पहुंचा। दोनों ने माया (लोकेश की पत्नी) के कमरे में प्रवेश किया। गर्भवती माया ने एक सुन्दर-सी, प्यारी-सी बिटिया को जन्म दिया। तीनों नवजात बच्ची के साथ अपने घर पहुंचे। एक दिन माया जब अपनी बच्ची को सुला रही थी। लोकेश ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए दबी हुई आवाज़ में कहा- “सुनो एक बार ज़रा बाहर आओ तो।” माया ने धीरे से बच्ची…