Quotes

Quotes

Beautiful ride on Moon 🌜

Moon moon in the night,
Lovely Moon shines bright.
Oh my dear don’t fight,
Lovely Moon shines bright.

This scene looks beautiful sight,
Lovely Moon shines bright.
Moon moon in the night,
Lovely Moon shines bright.

It soothen my soul,
Not only me; but All.
Moon moon in the night,
Lovely Moon shines bright.

It always make my mood,
It is full of soul’s food.
Moon moon in the night
Lovely Moon shines bright.

It takes me on the flight,
Without any more blight.
Moon moon in the night,
Lovely Moon shines bright.
Oh my dear don’t fight,
Lovely Moon shines bright.

~Swati Sharma (Bhumika)

अफसाना स्वयं का

हम सोचते थे अफसानों के बारे में,
रुक गए लोग रास्ते से घर जाने में।

हम अफसानों को हक़ीक़त में बदलते रहे,
लोगों के लिए अनजाने में।

कुछ उमर गुज़र गई खाने में,
कुछ उमर गुज़र गई पचाने में।

कुछ उमर गुज़र गई इतराने में,
कुछ उमर गुज़र गई आजमाने में।

कुछ उमर गुज़र गई समझाने में,
कुछ उमर गुज़र गई समझ जाने में।

जब लोगों की आंखें खुली,
रोकने वाले ख़ुद रुक गए।

हक़ीक़त के अफसाने और,
अफसानों की हक़ीक़त देखते रह गए।

~स्वाति शर्मा (भूमिका)

देशप्रेम

एक ऐसी दुनिया बसाओ
देश प्रेम सबके दिल में जगाओ
अहिंसा का सबको मार्ग दिखाओ
समान अधिकार सबको दिलाओ
ज्ञान की ज्योत जलाओ
सबके मार्ग पुष्प सजाओ
सही गलत में अंतर बताओ
स्त्री पुरुष का भेद मिटाओ
हम सब एक हैं सबको जताओ
सत्य पर से पर्दा हटाओ
अज्ञानता का अंधकार घटाओ
असाक्षर रूपी बादल छटाओ
प्यारा सा संसार बसाओ
देशप्रेम सबके दिल में जगाओ।

स्वरचित एवम मौलिक रचना
~स्वाति शर्मा (भूमिका)

वार्षिक कविता प्रतियोगिता :- विकास

विकास की लहर ऐसी चली
चप्पा-चप्पा गली-गली

हर शक्श है ज्ञानी आजकल
ज्ञान का पिटारा सबके पास है हर पल

सबकी जीवन शैली है बिंदास
दूर करो अब भारी भरकम खटास

ज्ञान ही है विकास की सीढ़ी
यह बात गांठ बांध लो अब दीदी

अज्ञानता का अंधकार मिटाओ
ज्ञान की ज्योत सबमें जगाओ

साथ में मिलकर झूमों नाचो गाओ
बड़े छोटे का भेद मिटाओ

खुशी के गीत साथ में गाओ
विकास की ओर कदम बढ़ाओ।

वार्षिक प्रतियोगिता कविता हेतु:- प्रकृति

प्रकृति है हमारी बड़ी निराली
उसके बिना सोच भी है खाली
देखो सुंदर -सुंदर फूल
सारे दुःख-दर्द जाओ भूल
पेड़-पौधे हैं बड़े निराले
बादल छा गए काले-काले
खूब होगी झमाझम बरसात
मिलकर करेंगे ढेर सारी बात
जो तुम दोगे हमारा साथ
सब मिलकर करेंगे ठाठ
बात पते की तुम समझ लो
प्रकृति की सुंदरता आंखों में भर लो
प्रकृति की करो सच्ची रखवाली
कभी न होगी झोली खाली।

फूल

कांटों पर रहकर हंसते हैं फूल,
हंसकर सारे गम जाते हैं भूल।

शिक्षा सभी को देते हैं ये, हंसने मुस्कुराने की,
कठिन समय में भी, जीत जाने की।

विश्वास

जितना सरल है जंग जीतना,
इसे जीतना उससे कठिन है।
एक बार जो यह टूट जाए,
फिर से जुड़ना बहुत कठिन है।
अपनों के बीच की है पक्की डोर,
फिर चाहे सांझ हो चाहे भोर।
जब यह पास होता है,
हम कभी नहीं होते बोर।
ना ही हमें होता किसी का भय,
यह बना देता है सबको निर्भय।
इसका रिश्तों में जब होता आभास,
तभी बढ़ता है सबमें विश्वास।
सभी चाहते हैं इसकी बस्ती हो,
हर आंगन और हर आवास।

संगीत

सांसों से जो धुन सजाए,
प्रेम की मुरली जो सुनाए,
दुःखी मन की जो व्यथा बताए,
सोए को जो फिर से जगाए,
हार को जो जीत दिलाए,
मिलन की जो आस जगाए,
बिछड़े प्रेमी जो मिलाए,
पाने की जो हसरत जगाए,
भटके को जो राह दिखाए,
आंखों से जो आंसू चुराए,
हौंसले की जो चमक जगाए,
देशप्रेम की अलख जगाए,
भक्ति की जो ज्योत जलाए,
सात सुरों को जो मोतियों-सा सजाए,
वो है संगीत, वो है संगीत, वो है संगीत।

विदाई

सबको एक पल में रुलाकर
अपनों से बिछड़ने का दर्द जगाकर
गैरों और अनजानों को अपनाकर
सबके हृदय को धड़काकर
आंसुओं की धारा बहाकर
भय और असुरक्षा की भावना जगाकर
बड़े-बड़ों के अनुभव बताकर
अच्छे अच्छों को हिलाकर
हमने आपको एक दुल्हन दिखाई
जो है, ना अपनी ना ही पराई
फिर भी सबके मन को भाई
सबकी एक जैसी ही होती है विदाई।

आमदनी

आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपय्या,
हार बहन से बोले उसका भैया।
पढ़ लो जितना पढ़ सकते हो,
वर्ना जब जीतने होंगे सपने,
भरनी होगी उड़ान,
करने होंगे खर्चे,
उठानी होगी जिम्मेदारी,
और ढूंढनी होगी पहचान,
तब पड़ेंगे हमपर डंडे,
और याद आ जाएगी हमको मैया।

आइसक्रीम

गर्मी में जो ठंडक दिलाए,
सबके मन को है वो भाए।
बच्चे बूढ़े और जवान,
सबको अपनी याद दिलाए,
अपनी ठंडी सी पहचान बताकर।
सबके चेहरों पर मुस्कान लाए,
यही है गर्मी में सबकी सबसे अच्छी दोस्त।
आइसक्रीम है उसका नाम,
जिसको हम नहीं कर सकते आपको पोस्ट।

अनाज

इसकी क्या कीमत पूछते हो जनाब,
इसका स्वाद होता न कभी खराब।
जब भी पूछोगे इसका हिसाब,
भूल जाओगे खाना कबाब।
इंसान से लेकर परिंदो तक सब जाने इसका स्वाद,
जो है सभी की ज़रूरत लाजवाब।
जिसको खाने में कभी न आए लाज,
उसका नाम है केवल… अनाज।

स्वरचित एवम मौलिक रचना
~स्वाति शर्मा (भूमिका)

वृद्धावस्था

वृद्धावस्था की चौखट पर आकर,
जब भी कोई यह पूछता है।
क्या आपने पाया क्या खोया,
तब उसका मन यह सोचता ही।
सबसे पहले ख्याल आता है,
कौन था अपना ? कौन पराया।
किसने हमको कितना हंसाया,
और किसने कितना रुलाया !
जब अपने और परायों का हिसाब जुड़ता है,
तब यह दिल धड़क-कर सब सुनता है।
अंत में काम अनुभव ही आया,
हमने बदले में केवल यही कमाया।
यदि कर्म अच्छे हों तो मन चैन की सांस लेता है,
यदि कर्म बुरे हों तो मन सदा ही बेचैन रहता है।
वृद्धावस्था की चौखट पर आकर,
अक्सर हर मन यही समझता है।

स्वरचित एवम मौलिक रचना
~स्वाति शर्मा (भूमिका)